Monday, April 24, 2023

ஏழு சிரஞ்சீவிகள்

 மஹாபலி, பரசுராமர், மார்கண்டேயன், அசுவத்தாமன், மேவிய வேதவியாசர், விபீஷணன், ஹனுமாரோடு கூடிய ஏழு பேர்கள் குலத்துரைத்து எண்ணெய் தேய்த்தால் பாபிகள் ஆனபோதும் பரகதி சேர்வார் தாமே.

Monday, February 7, 2022

मीनाक्षीस्तॊत्रम्

 मीनाक्षीस्तॊत्रम्

 

श्रीविद्यॆ शिववामभागनिलयॆ श्रिराजराजार्चितॆ

श्रीनाथादिगुरुस्वरूपविभवॆ चिंतामणीपीठिकॆ।

श्रीवाणीगिरिजानुताङ्घ्रिकमलॆ श्रीशाम्भवि श्रीशिवॆ

मध्याह्नॆ मलयध्वजाधिपसुतॆ मां पाहि मीनाम्बिकॆ॥१॥

 

 

चक्रस्थॆऽचपलॆ चराचरजगन्नाथॆ जगत्पूजितॆ

आर्तालीवरदॆ नताभयकरॆ वक्षॊजभारान्वितॆ।

विद्यॆ वॆदकलापमौळिविदितॆ विद्युल्लताविग्रहॆ

मातः पूर्णसुधारसार्द्रहृदयॆ मां पाहि मीनाम्बिकॆ॥२॥

 

 

कॊटीरांगदरत्नकुण्डलधरॆ कॊदण्डबाणाञ्चितॆ

कॊकाकारकुचद्वयॊपरिलसत्प्रालम्बिहाराञ्चितॆ।

शिञ्जन्नूपुरपादसारसमणिश्रीपादुकालङ्कृतॆ

मद्दारिद्र्यभुजङ्गगारुडखगॆ मां पाही मीनाम्बिकॆ॥३॥

 

ब्रह्मॆशाच्युतगीयमानचरितॆ प्रॆतासनान्तस्थितॆ

पाशॊदङ्कुश चापबाणकलितॆ बालॆन्दुचूडाञ्चितॆ।

बालॆ बालकुरङ्गलॊलनयनॆ बालार्ककॊट्युज्ज्वलॆ

मुद्राराधितदॆवतॆ मुनिसुतॆ मां पाही मीनाम्बिकॆ॥४॥

 

 

गन्धर्वामरयक्षपन्नगनुतॆ गंगाधरालिङ्गितॆ

गायत्रीगरुडासनॆ कमलजॆ सुश्यामलॆ सुस्थितॆ।

खातीतॆ खलदारुपावकशिखॆ खद्यॊतकॊट्युज्ज्वलॆ

मन्त्राराधितदॆवतॆ मुनिसुतॆ मां पाही मीनाम्बिकॆ॥५॥

 

 

नादॆ नारदतुंबुराद्यविनुतॆ नादांतनादात्मिकॆ

नित्यॆ नीललतात्मिकॆ निरुपमॆ नीवारशूकॊपमॆ।

कान्तॆ कामकलॆ कदम्बनिलयॆ कामॆश्वराङ्कस्थितॆ

मद्विद्यॆ मदभीष्टकल्पलतिकॆ मां पाही मीनाम्बिकॆ॥६॥

 

 

वीणानादनिमीलितार्थनयनॆ विस्रस्थचूलीभरॆ

ताम्बूलारुणपल्लवाधरयुतॆ ताटङ्कहारान्वितॆ।

श्यामॆ चन्द्रकलावतंसकलितॆ कस्तूरिकाफालिकॆ

पूर्णॆ पूर्णकलाभिरामवदनॆ मां पाही मीनाम्बिकॆ॥७॥

 

 

शब्दब्रह्ममयी चराचरमयी ज्यॊतिर्मयी वाङ्मयी

नित्यानन्दमयी निरंजनमयी तत्त्वंमयी चिन्मयी।

तत्त्वातीतमयी परात्परमयी मायामयी श्रीमयी

सर्वैश्वर्यमयी सदाशिवमयी मां पाही मीनाम्बिकॆ॥८॥

 

 

जय जय शङ्कर हर हर शङ्कर


श्रीयोगमीनाक्षीस्तोत्रम् - श्रीअगस्त्य कृतम्

            श्री अगस्त्य मुनये नमः श्री आदिशक्ति पातु माम् सदा

 श्रीअगस्त्य कृत श्रीयोगमीनाक्षीस्तोत्रम्

 
 
शिवानन्दपीयूषरत्नाकरस्थां शिवब्रह्मविष्ण्वामरेशाभिवन्द्याम् 
शिवध्यानलग्नां शिवज्ञानमूर्तिं शिवाख्यामतीतां भजे पाण्ड्यबालाम्  १॥
 
शिवादिस्फुरत्पञ्चमञ्चाधिरूढां धनुर्बाणपाशाङ्कुशोत्भासिहस्ताम् 
नवीनार्कवर्णां नवीनेन्दुचूडां परब्रह्मपत्नीं भजे पाण्ड्यबालाम्  २॥
किरीटाङ्गदोद्भासिमाङ्गल्यसूत्रां स्फुरन्मेखलाहारताटङ्गभूषाम् 
परामन्त्रकां पाण्ड्यसिंहासनस्थां परन्धामरूपां भजे पाण्ड्यबालाम्  ३॥ 
ललामाञ्चितस्निग्धफालेन्दुभागां लसन्नीरजोत्फुल्लकल्हारसंस्थाम् 
ललाटेक्षणार्धाङ्गलग्नोज्ज्वलाङ्गीं परन्धामरूपां भजे पाण्ड्यबालाम्  ४॥
 
त्रिखण्डात्मविद्यां त्रिबिन्दुस्वरूपां त्रिकोणे लसन्तीं त्रिलोकावनम्राम् 
त्रिबीजाधिरूढां त्रिमूर्त्यात्मविद्यां परब्रह्मपत्नीं भजे पाण्ड्यबालाम्  ५॥
 
सदा बिन्दुमध्योल्लसद्वेणिरम्यां समुत्तुङ्गवक्षोजभारावनम्राम् 
क्वणन्नूपुरोपेतलाक्षारसार्द्रस्पुरत्पादपद्मां भजे पाण्ड्यबालाम्  ६॥
 
यमाद्यष्टयोगाङ्गरूपामरूपामकारात्क्षकारान्तवर्णामवर्णाम् 
अखण्डामनन्यामचिन्त्यामलक्ष्याममेयात्मविद्यां भजे पाण्ड्यबालाम्  ७॥
 
सुधासागरान्ते मणिद्वीपमध्ये लसत्कल्पवृक्षोज्ज्वलद्बिन्दुचक्रे 
महायोगपीठे शिवाकारमञ्चे सदा सन्निषण्णां भजे पाण्ड्यबालाम्  ८॥
 
सुषुम्नान्तरन्ध्रे सहस्रारपद्मे रवीन्द्वग्निसम्युक्तचिच्चक्रमध्ये 
सुधामण्डलस्थे सुनिर्वाणापीठे सदा सञ्चरन्तीं भजे पाण्ड्यबालाम्  ९॥ 
षडन्ते नवान्ते लसद्द्वादशान्ते महाबिन्दुमध्ये सुनादान्तराळे 
शिवाख्ये कलातीतनिश्शब्ददेशे सदा सञ्चरन्तीं भजे पाण्ड्यबालाम्  १०॥
 
चतुर्मार्गमध्ये सुकोणान्तरङ्गे खरन्ध्रे सुधाकारकूपान्तराळे 
निरालम्बपद्मे कलाषोडशान्ते सदा सञ्चरन्तीं भजे पाण्ड्यबालाम्  ११॥
 
पुटद्वन्द्वनिर्मुक्तवायुप्रलीनप्रकाशान्तराले ध्रुवोपेतरम्ये 
महाषोडशान्ते मनोनाशदेशे सदा सञ्चरन्तीं भजे पाण्ड्यबालाम्  १२॥
 
चतुष्पत्रमध्ये सुकोणत्रयान्ते त्रिमूर्त्याधिवासे त्रिमार्गान्तराळे 
सहस्रारपद्मोचितां चित्प्रकाशप्रवाहप्रलीनां भजे पाण्ड्यबालाम्  १३॥
 
लसद्द्वादशान्तेन्दुपीयूषधारावृतां मूर्तिमानन्दमग्नान्तरङ्गाम् 
परां त्रिस्तनीं तां चतुष्कूटमध्ये परन्धामरूपां भजे पाण्ड्यबालाम्  १४॥
 
सहस्रारपद्मे सुषुम्नान्तमार्गे स्फुरच्चन्द्रपीयूषधारां पिबन्तीम् 
सदा स्रावयन्तीं सुधामूर्तिमम्बां परञ्ज्योतिरूपां भजे पाण्ड्यबालाम्  १५॥
 
नमस्ते सदा पाण्ड्यराजेन्द्रकन्ये नमस्ते सदा सुन्दरेशाङ्कवासे 
नमस्ते नमस्ते सुमीनाक्षि देवि नमस्ते नमस्ते पुनस्ते नमोऽस्तु  १६॥
 
इति  श्रीअगस्त्य कृत श्रीयोगमीनाक्षीस्तोत्रं सम्पूर्णम् 

  श्रीआदिशक्ति पातु माम् सदा ॥

AshtaLakshmi

               ॥ आदिशक्ति पादुमाम् सदा ॥

श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् ।।

आदिलक्ष्मी

सुमनसवन्दित सुन्दरि माधवि, चन्द्र सहोदरि हेममये ।।
मुनिगणमण्डित मोक्षप्रदायिनि, मञ्जुळभाषिणि वेदनुते ।।
पङ्कजवासिनि देवसुपूजित, सद्गुणवर्षिणि शान्तियुते ।।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, आदिलक्ष्मि सदा पालय माम् ।। ।।

धान्यलक्ष्मी

अहिकलि कल्मषनाशिनि कामिनि, वैदिकरूपिणि वेदमये ।।
क्षीरसमुद्भव मङ्गलरूपिणि, मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ।।
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि, देवगणाश्रित पादयुते ।।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, धान्यलक्ष्मि सदा पालय माम् ।। ।।

धैर्यलक्ष्मी

जयवरवर्णिनि वैष्णवि भार्गवि, मन्त्रस्वरूपिणि मन्त्रमये ।।
सुरगणपूजित शीघ्रफलप्रद, ज्ञानविकासिनि शास्त्रनुते ।।
भवभयहारिणि पापविमोचनि, साधुजनाश्रित पादयुते ।।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, धैर्यलक्ष्मि सदा पालय माम् ।। ।।

गजलक्ष्मी

जयजय दुर्गतिनाशिनि कामिनि, सर्वफलप्रद शास्त्रमये ।।
रथगज तुरगपदादि समावृत, परिजनमण्डित लोकनुते ।।
हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित, तापनिवारिणि पादयुते ।।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, गजलक्ष्मि रूपेण पालय माम् ।। ।।

सन्तानलक्ष्मी

अहिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि, रागविवर्धिनि ज्ञानमये ।।
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि, स्वरसप्त भूषित गाननुते ।।
सकल सुरासुर देवमुनीश्वर, मानववन्दित पादयुते ।।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, सन्तानलक्ष्मि त्वं पालय माम् ।। ।।

विजयलक्ष्मी

जय कमलासनि सद्गतिदायिनि, ज्ञानविकासिनि गानमये ।।
अनुदिनमर्चित कुङ्कुमधूसर-भूषित वासित वाद्यनुते ।।
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित, शङ्कर देशिक मान्य पदे ।।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, विजयलक्ष्मि सदा पालय माम् ।। ।।

विद्यालक्ष्मी

प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि, शोकविनाशिनि रत्नमये ।।
मणिमयभूषित कर्णविभूषण, शान्तिसमावृत हास्यमुखे ।।
नवनिधिदायिनि कलिमलहारिणि, कामित फलप्रद हस्तयुते ।।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, विद्यालक्ष्मि सदा पालय माम् ।। ।।

धनलक्ष्मी

धिमिधिमि धिंधिमि धिंधिमि धिंधिमि, दुन्दुभि नाद सुपूर्णमये ।।
घुमघुम घुंघुम घुंघुम घुंघुम, शङ्खनिनाद सुवाद्यनुते ।।
वेदपुराणेतिहास सुपूजित, वैदिकमार्ग प्रदर्शयुते ।।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, धनलक्ष्मि रूपेण पालय माम् ।। ।।


        ॥ आदिशक्ति पादुमाम् सदा ॥

श्री आदि लक्ष्मी – ॐ श्रीं आदिलक्ष्म्यै नमः॥

श्री धान्य लक्ष्मी – ॐ श्रीं क्लीं धान्य लक्ष्म्यै नमः॥

श्री धैर्य लक्ष्मी – ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं धैर्य लक्ष्म्यै नमः ॥

श्री गज लक्ष्मी – ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं गज लक्ष्म्यै नमः॥

श्री सन्तान लक्ष्मी – ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सन्तान लक्ष्म्यै नमः॥

श्री विजय लक्ष्मी – ॐ क्लीं ॐ विजय लक्ष्म्यै नमः॥

श्री विद्या लक्ष्मी – ॐ ऐं ॐ विद्या लक्ष्म्यै नमः॥

श्री ऐश्वर्य लक्ष्मी – ॐ श्रीं श्रीं ऐश्वर्य लक्ष्म्यै नमः॥

      ॥ आदिशक्ति पादु माम् सदा ॥